सीमावर्ती जनपदों के औद्यानिक उत्पादों से गुलज़ार होंगे विदेशी बाज़ार कृषकों की आय में होगी गुणात्मक

सीमावर्ती जनपदों के औद्यानिक उत्पादों से गुलज़ार होंगे विदेशी बाज़ार
कृषकों की आय में होगी गुणात्मक

वृद्धिबहराइच 10 फरवरी। भारत-नेपाल अन्तर्राष्ट्रीय सीमावर्ती जनपदों में फल, शाकभाजी, औषधीय एवं पुष्पीय फसलों के उत्पादन, सम्बर्द्धन एवं विपणन विषय पर रविवार को राजकीय इन्दिरा उद्यान में आयोजित अंतर्जनपदीय औद्यानिक गोष्ठी को मुख्य अतिथि प्रदेश के राज्यमंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार तथा कृषि निर्यात श्री दिनेश प्रताप सिंह ने एमएलसी डॉ. प्रज्ञा त्रिपाठी, विधायक श्रावस्ती राम फेरन पाण्डेय, सदर की श्रीमती अनुपमा जायसवाल, पयागपुर के सुभाष त्रिपाठी, नानपारा के राम निवास वर्मा, भाजपा अध्यक्ष बृजेश पाण्डेय सहित अन्य अतिथियों व मुख्य विकास अधिकारी मुकेश चन्द्र के साथ फीता काटकर प्रदर्शनीे स्टालों का निरीक्षण कर मण्डल में कराये गये विभिन्न विकास कार्यों को लाकार्पण किया तथा दीप प्रज्ज्वलित कर एवं मॉ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर गोष्ठी का शुभारम्भ किया।

  1. गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए उद्यान निरीक्षक पंकज वर्मा ने एकीकृत बागवानी मिशन योजना पर चर्चा करते हुए फल, पुष्प, मसाला एवं सब्ज़ी क्षेत्र विस्तार, मौन पालन, वर्मी कम्पोस्ट यूनिट का निर्माण, फेन्सिंग, शेडनेट, पाली हाउस, प्याज स्टोर, पैक हाउस जैसे कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया कि विभाग द्वारा इसके अतिरिक्त औद्यानिक क्षेत्र में उपयोग में लाए जाने वाले यन्त्र यथा-गार्डेन ट्रैक्टर, पावर ट्रिलर, स्प्रे मशीन आदि पर अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है। इच्छुक कृषक विभागीय पोर्टल पर पंजीकरण करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। बस्ती मण्डल के उप निदेशक उद्यान पंकज शुक्ला द्वारा द्वारा बताया गया कि आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के स्थान पर एकीकृत बागवानी मिशन योजना जनपद में संचालित की जायेगी।
    कृषि विज्ञान केन्द्र, नानपारा के अध्यक्ष डॉ. शशिकान्त ने फलों में लगने वाली कीट व्याधियों एवं उसके निदान, वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र, बहराइच के डॉ. शैलेन्द्र सिंह द्वारा केला व आम की खेती एवं इसके परागण से अन्य फलसों के उत्पादन वृद्धि, डॉ. नन्दन सिंह द्वारा प्राकृतिक खेती एवं इससे होने वाले लाभों, डॉ. अरूण कुमार राजभर ने समन्वित कृषि प्रणाली एवं किसान उत्पादक संगठन के गठन के बारे में कृषकों को अवगत कराया।
    विधायक पयागपुर श्री त्रिपाठी ने लतावर्गीय सब्जियों की खेती को प्रोत्साहित करते हुए बताया कि उन्हें स्वयं लौकी की खेती बढ़ा लाभ प्राप्त हुआ है। पंतजलि के विषय विशेषज्ञ डॉ. पवन कुमार द्वारा औषधीय खेती एवं हल्दी के उत्पादन एवं विपणन, प्रगतिशील कृषक श्रवण कुमार सिंह ने स्ट्राबेरी की खेती, श्रावस्ती के कृषक आशिफ अजीज सिद्धकी ने पॉली हाउस में स्ट्रावेरी एवं जरवेरा की खेती के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि इससे इन्हे लगभग पांच लाख रूपये प्रति एकड़ का लाभ होता है। जिले के प्रगतिशील कृषक राम बरन चौधरी व लालता प्रसाद गुप्ता ने केला उत्पादन में आने वाली समस्या एवं निदान के बारे में कृषकों से चर्चा की।
    श्रावस्ती के कृषक रणवीर सिंह ने बताया कि भारत में उत्पादित केला नेपाल देश में ऊंची कीमत पर बिकता है। केला उत्पादकों को सीधे निर्यात की सुविधा मिलने से कृषकों को आर्थिक लाभ होगा। इस सम्बन्ध में मा. मंत्री ने आश्वस्त किया कि कृषकों के हित को दृष्टिगत रखते हुए नीति बनाने पर विचार किया जायेगा। मा. मंत्री ने उद्यान अधिकारी दिनेश चौधरी को यह भी निर्देश दिया कि पतंजलि के विषय विशेषज्ञ को हल्दी एवं औषधीय प्रक्षेत्रों का भ्रमण कराया जाय। लखीमपुर से आये कृषक प्रशांत श्रीवास्तव ने माइक्रोइरीगेशन योजना अन्तर्गत स्थापित ड्रिप संयत्र की उपयोगिता पर चर्चा करते हुए इसे कृषकों के लिए अत्यन्त उपयोगी बताया।
    कृषक संवाद कार्यक्रम अन्तर्गत कृषक राम बरन चौधरी द्वारा केले में लगने वाले पनामा रोग, उत्पादन एवं विपणन में आने वाली समस्या पर मा. मंत्री ने बताया कि विभाग द्वारा प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना हेतु 35 प्रतिशत की सब्सिडी के साथ टॉप-अप की सुविधा भी प्रदान की जा रही है। श्री सिंह ने कहा कि गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य ही यही है कि नेपाल के सीमावर्ती 07 जनपदों के औद्यानिक कृषकों के उत्पादन, सम्बर्द्धन एवं विपणन जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सके। मा. मंत्री ने गोष्ठी में उपस्थित कृषकों, जनप्रतिनिधियों एवं मीडिया बन्धुओं से अपेक्षा की कि कृषकों विशेषकर औद्यानिक कृषकों के समक्ष आने वाली समस्याओं से अवगत करायें ताकि तत्परता के साथ समाधान कराया जा सके। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती जनपदों में औद्यानिक फसलों को बढ़ावा देने का प्रदेश सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।
    मा. मंत्री श्री सिंह ने सीमावर्ती जनपदों के कृषकों विशेषकर अनुसूचित जाति के कृषकों को फल, शाकभाजी, औषधीय एवं पुष्पीय फसलों के अधिकाधिक क्षेेत्र विस्तार के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि इससे उन्हें दूसरी फसलों के मुकाबले अधिक लाभ होगा। श्री सिंह ने गोष्ठी में मौजूद कृषकों से आयात-निर्यात नीति बनाने हेतु सुझाव देने की अपेक्षा की, ताकि तैयार होने वाली नीति कृषकों के लिए अधिक फायदेमन्द हो। प्रगतिशील कृषक एवं शहद उत्पादक रामफेर पाण्डेय द्वारा मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देन का सुझाव दिया। इस सम्बन्ध में श्री सिंह ने कहा कि सभी फसलों के परागण के लिए मधुमक्खी ही श्रेष्ठ माध्यम है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा मधुमक्खी पालन के लिए पूर्व से ही योजना संचालित की जा रही है।
    गोष्ठी के अन्त में विधायक सदर श्रीमती अनुपमा जायसवाल ने सभी अतिथियों का आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सफल आयोजन के लिए उद्यान अधिकारी दिनेश चौधरी को बधाई दी। इस अवसर पर सीमावर्ती जनपदों के उपनिदेशक एवं जिला उद्यान अधिकारी, विभागीय अधिकारी कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में कृषक मौजूद रहे।

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